गुरुवार, 28 फ़रवरी 2008

न डरें..................

अभी इंडिया टीवी पर रजत शर्मा जी को देखा मुस्कराते हुए एक रिपोर्ट को बता रहे थे । रिपोर्ट थी दिल्ली में पकड़ा गया किन्नर बनाने का कारखाना ,यह मुद्दा इतना गम्भीर है लेकिन शर्मा जी हैं कि मुस्कराहट बिखेरे चले जा रहे हैं और लालसिंह नामक व्यक्ति से पूछ रहे हैं कि क्या होता है वगैरह-वगैरह.... । यह मुद्दा ठीक वैसा है जैसे कि लोग स्वेच्छा से अंग कटवा कर भिक्षा मांगने के पेशे में उतर जाते हैं । जब लोगों ने देख लिया कि इस तरह से भी कमाई हो सकती है तो क्या फर्क पड़ता है चलो इधर भी हाथ आजमा लेते हैं और अपराधियों ने इस क्षेत्र को भी नहीं छोड़ा पर इसका यह मतलब तो नहीं कि हम सभी लैंगिक विकलांग लोगों से डरने लगें कि कहीं दोस्ती बना कर अपने जैसा न बना लें । अरे जब एड्स रोगियों से मित्रता करने से वो आप को रोगी बनाना नही चाहते तो भला प्राकृतिक रूप से जन्में लैंगिक विकलांग ऐसा क्यों चाहेंगे दरअसल यह तो मात्र पैसे के लालच में अंधे हुए अपराधी किस्म के लोगों का काम रहता है और आप सब समझ सकते हैं कि अपराध की प्रकृति किसी भी जाति धर्म ,क्षेत्र,भाषा या लिंग से हो सकती है यह एक असहज सी मनोरुग्ण स्थिति है । इसलिए मनीषा दीदियों से न डरें..................

रविवार, 24 फ़रवरी 2008

कुछ लोग

आज दो दिन पहले आप लोग के ब्लोग पर मैंने अपने भाई डा.रूपेश के कहने पर मेम्बर बन कर एक पोस्ट लिखा था । इस पोस्ट को लेकर कुछ लोग को प्राब्लम होने लगा कि ये मनीषा कौन है ? मेरी हिन्दी तो ऐसी है कि जितना भीख मांगते समय आशीर्वाद देने या फिर गालियां देने को काम आती है पर डा.भाई ने बताया कि अपना ब्लोग बनाना और उस पर लिखने के लिये अच्छा भाषा जानना चाहिए । मेरी भाषा मलयालम है और मैं मराठी ,इंग्लिश,तेलुगु,तमिळ बोल लेती हुं । आप लोग का लिखा हुआ मेरे को ज्यादा समझ में नहीं आता आर्थिक ,अस्तित्व,मसिजीवी या शुचितावादी का क्या अर्थ होता है ? हमारी प्राब्लम तो जिंदगी को आसान तरीके से जीना है जैसे राशन कार्ड,ड्राइविंग लाइसेंस,मोबाइल के लिए सिम कार्ड के वास्ते फोटो लगा हुआ आइडेंटिटी प्रूफ़ जैसे कि पैन कार्ड वगैरह अभी आप लोग बताओ किधर से लाएं ये सब ? उंगलियां दरद करने लगती हैं टाइप करने में लेकिन ऐसा लगता था कि इंटरनेट पर ब्लोग पर लिखने से प्राब्लम साल्व होगा पर इस खुशी में हम सब लोग ये भूल गए कि इधर भी तो वो ही लोग हैं जो ट्रेन में,सरकारी आफिसों में मिलते हैं । अभी हिन्दी टाइप करना आता है तो इन्हीं उंगलियों से इतना गंदा गंदा गाली भी टाइप कर सकती हूं कि मेरे और मेरे भाई के बारे में बकवास करने वाले लोग को वापिस मां के पेट में घुस कर मुंह छुपाना पड़ जायेगा लेकिन मुझे इतना तो अकल मेरे भाई ने दिया कि ऐसा लोग के मुंह नहीं लगना चाहिये ,हम लोग तो शरीर से हिजड़े हैं पर ये तो आत्मा से हिजड़े हैं इस वास्ते मैं इन आत्मा से हिजड़े लोग को गाली भी देकर इनका भाव नहीं बढ़ाना चाहती हूं अगर भड़ास पर मेरे होने से आप लोग को दिक्कत है तो भड़ास पर मैं पोस्ट भेजना बंद कर देती हुं ताकि लोगों को मेरे होने से अड़चन न हो क्योंकि हमे तो मुंबई में सार्वजनिक टायलेट तक में इसी प्राब्लम का सामना करना पड़ता है कि जेन्ट्स टायलेट में जाओ तो आदमी लोग झांक कर देखना चाहते कि हमारे नीचे के अंग कैसे हैं और लेडीज टायलेट में जाओ तो औरतें झगड़ा करती हैं । बस यही हमारी दिक्कते हैं जो हमें जिंदगी ठीक से नहीं जीने देतीं और हम अलग से हैं । अभी उंगलियां अकड़्ने लगी हैं मैं इतना लिख भी नहीं पाती पर आप लोग के दुख ने ताकत दिया लिखने का । अभी जब तक आप लोग नहीं बोलेंगे मैं भड़ास पर नहीं लिखूंगी ।
नमस्ते

शनिवार, 23 फ़रवरी 2008

गंदा काम

अभी ब्लाग तो बना लिय है पर टाइप करने का ज्यादा प्रैक्टिस नही है तो दो लाइन में ही उंगलियां दरद करने लगती हैं । जो हाथ बरसों से तालियां बजाते हैं ,बस झूठे आशिर्वाद देते और भीख मांगते रहे उन्हें नया काम करने में तकलीफ तो होयेगी न ? मैं केरल की रहने वाली हूं ग्रेजुएट हूं इधर मुंबई आना पड़ा क्योंकि उधर तो रिस्तेदार हैं जान पहचान के लोग हैं तो बहोत दुख होता था । इधर आई तो गुरू ने सहारा दिया है रोटी खाने को मिल जाती है पर पढ़ी लिखी हूं तो मन में लगता था कि कुछ नया करने का है तो एक दिन कम्प्यूटर इस्टीट्यूट चली गयी अपनी दो बहनों सोना और भूमिका के साथ कि हमें भी कम्प्यूटर सीखना है तो उसने बिना कुछ सुने ही मना कर दिया कि आप लोग के कारण उसका इस्टीट्यूट बंद हो जायेगा लोग अपने लडके लडकियों को हटा लेंगे कि इधर हिजड़ा लोग को सिखाया जाता है । जितना दुख जिन्दगी में अपने हिजड़े होने का नहीं हुआ था उससे ज्यादा दुख हुआ लोगों का ऐसा व्यवहार देख कर । फिर एक दिन डॉक्टर भाई से मुलाकात हुई वो हम लोग को रात में ट्रेन में मिल जाते थे और हम लोग उधर परेल से गंदा काम करके रात को लास्ट गाड़ी से आते थे । वो खुद आकर हमसे बात करते तो शुरू में हमें लगा कि कोई फोकट वाला होगा जो बस अच्छी बातों में निपटाना चाहता है । ऐसा सोच कर हमको बहोत पाप लगा होगा कि हम उनका बारे में ऐसा सोचा थे क्या करें अभी तक ऐसे ही लोग मिले थे तो लगता था कि ऐसा इंसान हो ही नहीं सकता है । पर होता है उसने हमको रक्षाबंधन से एक दिन पहले पूछा कि दीदी आपको भाई है मैने बोला नहीं ,जबाब नहीं दिया । क्या जबाब देती भाई है पर मिलना नही चाहता । दूसरे दिन वो खुद राखी लेकर आये और वो रिश्ता जिन्दगी भर के लिये के लिये जुड़ गया । अभी उंगलियां अकड़ने लगी हैं कुछ लिखना है बाद में लिखूंगी । नमस्ते

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2008

थैंक्यू

इंटरनेट पर लिखना तो मजेदार है अब लोगों को हमारी बात हम इस तरीके से समजा सकेंगे । थैंक्यू रूपेश भाई

शुरुआत

आज पहली बार इंटरनेट पर कुछ लिखूंगी ।

आशीर्वाद

सबसे पहले अपने दुनिया में सबसे प्यारे दोस्त डॉक्टर रूपेश श्रीवास्तव को खूब सारा प्यार और आशीर्वाद जिन्होंने हमें यह रास्ता बताया ,रात रात भर जाग कर हमें हिन्दी टाइप करना सिखाया और कम्प्यूटर सिखाया । ThanQ brother
 

© 2009 Fresh Template. Powered by भड़ास.

आयुषवेद by डॉ.रूपेश श्रीवास्तव