रविवार, 19 सितंबर 2010
खबरों में तो हैं लेकिन वो जो "किन्नर" हैं और आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं पर लैंगिक विकलाँग नहीं........
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
हम अधूरे इंसान अगर सच भी बोलें तो लोग कहते हैं उसे "अर्धसत्य"
© 2009 Fresh Template. Powered by भड़ास.
2 टिप्पणियां:
.
मनीषा दीदी,
बहुत प्यार करती हूँ आपसे। और ह्रदय में सम्मान है आपके लिए। मुझे आज स्वयं पर शर्म आ रही है की मैंने देर क्यूँ की । जो पहले करना था वो कैसे छूट गया मुझसे। दीदी मुझे क्षमा करिए और कुछ वक़्त दीजिये मुझे ।
आपसे बेहद प्रेम करने वाली ,
आपकी अपनी दिव्या।
.
उफ्फ ये स्त्री पुरुषों वाली खामियां तृतीय वर्ग में भी आ गईं.. कभी फिल्म 'सड़क' में इस तरह का होते देखा था तो लगा था कि ये सब सिर्फ कहानियों की बातें हैं.. पर अब लगता है कि सब सच है.
एक टिप्पणी भेजें